खारे पसीने में साने है प्यार
गले मेरे मिलती है छत पर बयार।
तापों को हर लेती, चूमती लिलार
हँसती उतरती हृदय में आ पार
बुनती असीमित-सी बाँहों के माले
गाती मल्हार ले कानों के बाले
नरम-नरम फाहे में छुइ-मुइ प्यार
गले मेरे मिलती है छत पर बयार।
साँसों में भर लाती बेला चमेली
पाँखों में धर आती, खुशबू जलेबी
ये कचनार चंपा पर जाती परोस
केशों में उलझी-सी बूँदों की ओस
पुलकें रोम-रोम सभी आँखें चियार
गले मेरे मिलती है छत पर बयार।
परिचय कराते न थकती अघाती
नथुनों में भर भर के सुँघनी सुँघाती
कोयल पपीहे से भेजे संदेशा
पातों की कनफुसकी तोड़े अँदेशा
फूल, फल लिए हर पल रहती तैयार
गले मेरे मिलती है छत पर बयार।
रोटी के आटे में सो जाय छुप के
गीतों को होठों में बो जाय चुप के
चूल्हे जलाती ये फुँकनी में बैठे
चीरों के सीलन हटाती है ऐंठे
साँसों में सार बुने, सरगम है यार
गले मेरे मिलती है छत पर बयार।
काया, न माया, नहीं सोलह सिंगार
शासन, न सत्ता, नहीं करती चिंघार
अरूपा, सरूपा-सी खींचे है ध्यान
शक्ति रखती अपार, न शमशीर, म्यान
यहाँ-वहाँ प्राणों को बाँटे उपहार
गले मेरे मिलती है छत पर बयार।